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Sunday 14 January 2018

फिर सूरज निकलता है

स्वरचित कुछ दिल से।।।

अब अँधेरा थोड़ा छाने लगा है
ऐसा लगता है मुकाम आने लगा है
में क्यो समझाऊ लोगो को की मकसद क्या है
तू खुद में खो जा सुरज जैसे ढलता है
एक शाम के बाद फिर सुरज निकलता है
एक शाम के बाद.....

लेखक जितेंद्र टैलर