स्वरचित कुछ दिल से।।।
अब अँधेरा थोड़ा छाने लगा है ऐसा लगता है मुकाम आने लगा है में क्यो समझाऊ लोगो को की मकसद क्या है तू खुद में खो जा सुरज जैसे ढलता है एक शाम के बाद फिर सुरज निकलता है एक शाम के बाद.....
लेखक जितेंद्र टैलर